Machine and Assembly Language Differences
1)मशीनी भाषा एवं असेंबली भाषा में विभेद कीजिए।
=
मशीनी भाषा और असेंबली भाषा में विभेद
मशीनी भाषा और असेंबली भाषा दोनों ही कंप्यूटर प्रोग्रामिंग की निम्न-
स्तरीय भाषाएँ हैं, लेकिन उनमें कुछ महत्वपूर्ण अंतर हैं।
मशीनी भाषा:
- कंप्यूटर द्वारा सीधे समझी जाने वाली भाषा है।
- इसमें केवल बाइनरी कोड (0 और 1) का उपयोग किया जाता है।
- यह भाषा कंप्यूटर के हार्डवेयर पर निर्भर होती है, इसलिए प्रत्येक प्रकार के कंप्यूटर के लिए अलग-अलग मशीनी भाषा होती है।
- मशीनी भाषा में प्रोग्रामिंग करना बहुत मुश्किल और समय लेने वाला होता है।
असेंबली भाषा:
- मशीनी भाषा की तुलना में थोड़ी अधिक मानव-अनुकूल भाषा है।
- इसमें निमोनिक कोड (छोटे अक्षर समूह) का उपयोग किया जाता है जो मशीनी भाषा के निर्देशों का प्रतिनिधित्व करते हैं।
- असेंबली भाषा को असेंबलर नामक प्रोग्राम का उपयोग करके मशीनी भाषा में अनुवादित किया जाता है।
- असेंबली भाषा में प्रोग्रामिंग करना मशीनी भाषा की तुलना में थोड़ा आसान होता है, लेकिन यह अभी भी कंप्यूटर के हार्डवेयर पर निर्भर होती है।
मुख्य अंतर:
विशेषता | मशीनी भाषा | असेंबली भाषा |
---|---|---|
प्रोग्रामिंग | मुश्किल और समय लेने वाला | थोड़ा आसान |
कोड | बाइनरी कोड (0 और 1) | निमोनिक कोड |
अनुवाद | कोई अनुवाद नहीं | असेंबलर द्वारा अनुवादित |
हार्डवेयर निर्भरता | हाँ | हाँ |
उदाहरण:
एक संख्या को दूसरी संख्या में जोड़ने के लिए मशीनी भाषा में कोड इस तरह दिख सकता है:
10110000 00010000
10001001 00010001
वही कोड असेंबली भाषा में इस तरह दिख सकता है:
MOV AX, 1000H
ADD AX, 1001H
2)कम्प्यूटर भाषा का विकास कैसे हुआ? प्रत्येक का उदाहरण देकर समझाइए।
=कम्प्यूटर भाषा का विकास एक लंबी प्रक्रिया है, जो समय के साथ विभिन्न चरणों में हुआ है। इसे हम मुख्यतः चार श्रेणियों में बाँट सकते हैं:
1. मशीन भाषा (Machine Language):
– यह सबसे मूलभूत कम्प्यूटर भाषा है, जो बाइनरी कोड (0 और 1) में होती है। कम्प्यूटर केवल मशीन भाषा को समझता है। उदाहरण के लिए, एक सरल मशीन भाषा आदेश हो सकता है: `10110000`, जो किसी विशेष कार्य को करने के लिए कम्प्यूटर को निर्देशित करता है।
2. असेंबली भाषा (Assembly Language):
– यह मशीन भाषा के लिए एक स्तर ऊपर है और इसे मानव द्वारा पढ़ने योग्य बनाया गया है। इसमें म्नemonic कोड का उपयोग होता है, जिससे प्रोग्राम लिखना आसान हो जाता है। उदाहरण के लिए, `MOV A, B` एक आदेश है जो रजिस्टर A में रजिस्टर B का मान स्थानांतरित करता है।
3. उच्च स्तरीय भाषाएँ (High-Level Languages):
– ये भाषाएँ मानव द्वारा पढ़ने योग्य होती हैं और इन्हें लिखना और समझना आसान होता है। इनका उपयोग जटिल प्रोग्राम बनाने के लिए किया जाता है। उदाहरण के लिए, `print(“Hello, World!”)` एक पायथन प्रोग्राम का उदाहरण है, जो “Hello, World!” को प्रदर्शित करता है।
4. विशिष्ट उद्देश्य भाषाएँ (Domain-Specific Languages):
– ये भाषाएँ किसी विशेष क्षेत्र के लिए डिज़ाइन की गई होती हैं। जैसे SQL (Structured Query Language) का उपयोग डेटाबेस प्रबंधन के लिए किया जाता है। उदाहरण के लिए, `SELECT * FROM users;` एक SQL आदेश है, जो सभी उपयोगकर्ताओं की जानकारी प्राप्त करता है।
इन चार श्रेणियों के माध्यम से, कम्प्यूटर भाषाओं का विकास हुआ है, जिससे प्रोग्रामिंग और कम्प्यूटर के साथ संवाद करना आसान हो गया है।
3)स्कैनर एवं प्रिंटर को समझाइए।
= स्कैनर और प्रिंटर दोनों ही कंप्यूटर से जुड़े उपकरण हैं, जो जानकारी को डिजिटल रूप में प्रोसेस करने में मदद करते हैं।
स्कैनर:
स्कैनर एक उपकरण है जो कागज, फोटो या किसी अन्य दस्तावेज़ की छवि को डिजिटल फॉर्मेट में बदलता है। यह एक प्रकार का इनपुट डिवाइस है। स्कैनर की मुख्य विशेषताएँ निम्नलिखित हैं:
1. प्रकार: स्कैनर कई प्रकार के होते हैं, जैसे कि फ्लैटबेड स्कैनर, हैंडहेल्ड स्कैनर और ऑटोमैटिक डॉक्यूमेंट फीडर (ADF) वाले स्कैनर।
2. रिज़ॉल्यूशन: स्कैनर की गुणवत्ता उसके रिज़ॉल्यूशन पर निर्भर करती है, जिसे डॉट्स प्रति इंच (DPI) में मापा जाता है। उच्च DPI का मतलब उच्च गुणवत्ता वाली छवि।
3. फाइल फॉर्मेट: स्कैनर आमतौर पर छवियों को JPEG, PNG, PDF आदि फॉर्मेट में सेव कर सकते हैं।
प्रिंटर:
प्रिंटर एक आउटपुट डिवाइस है, जो कंप्यूटर से प्राप्त डिजिटल जानकारी को कागज पर प्रिंट करता है। प्रिंटर की मुख्य विशेषताएँ निम्नलिखित हैं:
1. प्रकार: प्रिंटर भी कई प्रकार के होते हैं, जैसे कि इंकजेट प्रिंटर, लेज़र प्रिंटर, और डॉट मैट्रिक्स प्रिंटर।
2. प्रिंट गुणवत्ता: प्रिंट की गुणवत्ता DPI में मापी जाती है। उच्च DPI वाले प्रिंटर अधिक स्पष्ट और विस्तृत प्रिंट प्रदान करते हैं।
3. फास्ट प्रिंटिंग: प्रिंटर की गति पृष्ठ प्रति मिनट (PPM) में मापी जाती है। उच्च PPM वाले प्रिंटर तेजी से प्रिंट करते हैं।
इन दोनों उपकरणों का उपयोग विभिन्न कार्यों के लिए किया जाता है, जैसे कि दस्तावेज़ों को डिजिटल बनाना (स्कैनर) या उन्हें छापना (प्रिंटर)। दोनों उपकरणों का सही उपयोग ऑफिस, स्कूल और व्यक्तिगत कार्यों में किया जाता है।
4)ए.एल.यू. को परिभाषित कीजिए।
= ए.एल.यू. (ALU)
का पूरा नाम “अर्थमैटिक लॉजिक यूनिट” है। यह कंप्यूटर का एक महत्वपूर्ण घटक है जो गणितीय और तार्किक संचालन करता है। ए.एल.यू. कंप्यूटर के प्रोसेसर का एक हिस्सा होता है और यह डेटा को प्रोसेस करने में मदद करता है।
ए.एल.यू. निम्नलिखित कार्य करता है:
1. गणितीय संचालन: ए.एल.यू. जोड़, घटाव, गुणा और भाग जैसे गणितीय संचालन करता है।
2. तार्किक संचालन: यह तार्किक ऑपरेशनों जैसे AND, OR, NOT, और XOR को भी निष्पादित करता है।
3. तुलना: ए.एल.यू. विभिन्न संख्याओं की तुलना कर सकता है, जैसे कि यह निर्धारित करना कि कौन सी संख्या बड़ी या छोटी है।
इस प्रकार, ए.एल.यू. कंप्यूटर के लिए डेटा प्रोसेसिंग का एक मूलभूत हिस्सा है और यह कंप्यूटर की कार्यक्षमता को बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
5)सी.आर.टी की कार्यप्रणाली को समझाइए।
=
सी.आर.टी (Cathode Ray Tube) एक प्रकार की इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस है जिसका उपयोग मुख्य रूप से पुरानी टेलीविजन सेट और कंप्यूटर मॉनिटर में किया जाता था। इसकी कार्यप्रणाली निम्नलिखित है:
1. कैथोड: सी.आर.टी. का मुख्य हिस्सा एक कैथोड होता है, जो एक नकारात्मक इलेक्ट्रोड है। जब कैथोड को गर्म किया जाता है, तो यह इलेक्ट्रॉनों को उत्सर्जित करता है।
2. इलेक्ट्रॉन बीम: उत्सर्जित इलेक्ट्रॉन एक इलेक्ट्रॉन बीम के रूप में आगे बढ़ते हैं। यह बीम एक वैक्यूम ट्यूब के अंदर यात्रा करती है जिसमें कोई वायुमंडलीय दबाव नहीं होता।
3. एनोड: बीम को आगे बढ़ाने के लिए, एक सकारात्मक इलेक्ट्रोड जिसे एनोड कहा जाता है, का उपयोग किया जाता है। एनोड इलेक्ट्रॉनों को अपनी ओर आकर्षित करता है और उन्हें तेज गति से आगे बढ़ने में मदद करता है।
4. डिफ्लेक्शन सिस्टम: इलेक्ट्रॉन बीम को एक डिफ्लेक्शन सिस्टम के माध्यम से नियंत्रित किया जाता है, जो कि एक विद्युत क्षेत्र या चुंबकीय क्षेत्र का उपयोग करता है। यह बीम को स्क्रीन पर विभिन्न स्थानों पर निर्देशित करने में मदद करता है।
5. फास्फोर स्क्रीन: जब इलेक्ट्रॉन बीम स्क्रीन पर गिरता है, तो यह एक फास्फोर सामग्री को उत्तेजित करता है, जिससे प्रकाश उत्पन्न होता है। यह प्रकाश विभिन्न रंगों में हो सकता है, जो स्क्रीन पर चित्र बनाने में मदद करता है।
6. रंग उत्पन्न करना: रंगीन सी.आर.टी. में, तीन अलग-अलग फास्फोर होते हैं (लाल, हरा, और नीला)। इलेक्ट्रॉन बीम को विभिन्न अनुपात में इन फास्फोर पर निर्देशित करके विभिन्न रंगों का संयोजन बनाया जाता है।
इस प्रकार, सी.आर.टी. की कार्यप्रणाली इलेक्ट्रॉनों के उत्सर्जन, नियंत्रण और फास्फोर स्क्रीन पर प्रकाश उत्पन्न करने के आधार पर होती है। यह तकनीक अब नई डिस्प्ले तकनीकों जैसे एलसीडी और ओएलईडी द्वारा प्रतिस्थापित की जा रही है, लेकिन सी.आर.टी. ने अपने समय में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
6)वेब कैमरा की कार्यप्रणाली को समझाइए।
=
वेब कैमरा एक ऐसा उपकरण है जो डिजिटल इमेज और वीडियो को कैप्चर करने के लिए उपयोग किया जाता है। इसकी कार्यप्रणाली को समझने के लिए निम्नलिखित बिंदुओं पर ध्यान दिया जा सकता है:
1. सेंसर्स: वेब कैमरा में एक इमेज सेंसर होता है, जो प्रकाश को इलेक्ट्रॉनिक सिग्नल में परिवर्तित करता है। आमतौर पर, ये सेंसर्स CCD (Charge-Coupled Device) या CMOS (Complementary Metal-Oxide-Semiconductor) तकनीक का उपयोग करते हैं।
2. प्रकाश का प्रवेश: जब कैमरा ऑन होता है, तो लेंस के माध्यम से प्रकाश सेंसर पर गिरता है। लेंस का आकार और गुणवत्ता इमेज की स्पष्टता और गुणवत्ता को प्रभावित करते हैं।
3. इमेज प्रोसेसिंग: सेंसर द्वारा प्राप्त सिग्नल को एक प्रोसेसर द्वारा संसाधित किया जाता है। यह प्रोसेसर इमेज को डिजिटल फॉर्मेट में परिवर्तित करता है, जिससे उसे कंप्यूटर या अन्य डिवाइस पर भेजा जा सके।
4. कनेक्टिविटी: वेब कैमरा आमतौर पर USB या वाई-फाई के माध्यम से कंप्यूटर या लैपटॉप से जुड़ा होता है। जब कैमरा कनेक्ट होता है, तो यह वीडियो स्ट्रीमिंग या वीडियो कॉलिंग के लिए तैयार होता है।
5. सॉफ़्टवेयर: वेब कैमरा के साथ काम करने के लिए विशेष सॉफ़्टवेयर या एप्लिकेशन की आवश्यकता होती है, जैसे कि वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग ऐप्स (जैसे ज़ूम, स्काइप) या रिकॉर्डिंग सॉफ़्टवेयर। यह सॉफ़्टवेयर कैमरा से प्राप्त वीडियो को प्रदर्शित करता है और उपयोगकर्ता को इंटरफेस प्रदान करता है।
6. वीडियो स्ट्रीमिंग: जब आप वीडियो कॉल करते हैं, तो कैमरा लगातार इमेज को कैप्चर करता है और उसे डिजिटल सिग्नल के रूप में भेजता है। दूसरे व्यक्ति के डिवाइस पर, यह सिग्नल फिर से इमेज में परिवर्तित होता है, जिससे आप एक-दूसरे को देख सकते हैं।
इस प्रकार, वेब कैमरा एक सरल लेकिन प्रभावी तकनीक है जो वीडियो संचार को संभव बनाती है।
7) द्वितीयक मेमोरी क्या है? किस प्रकार यह प्राथमिक मेमोरी से भिन्न है? समझाइए।
= द्वितीयक मेमोरी (Secondary Memory) और प्राथमिक मेमोरी (Primary Memory) कंप्यूटर विज्ञान में मेमोरी के दो प्रमुख प्रकार हैं। आइए इनके बीच के भेद को समझते हैं।
### द्वितीयक मेमोरी (Secondary Memory):
1. परिभाषा: द्वितीयक मेमोरी वह मेमोरी है जिसका उपयोग डेटा और प्रोग्रामों को स्थायी रूप से स्टोर करने के लिए किया जाता है। उदाहरण के लिए, हार्ड डिस्क, SSD (सॉलिड स्टेट ड्राइव), USB फ्लैश ड्राइव, और CD/DVD।
2. विशेषताएँ:
– स्थायी स्टोरेज: डेटा को लंबे समय तक सुरक्षित रखने की क्षमता।
– धीमी गति: प्राथमिक मेमोरी की तुलना में डेटा को एक्सेस करने की गति कम होती है।
– बड़ी क्षमता: द्वितीयक मेमोरी में अधिक डेटा स्टोर करने की क्षमता होती है।
– कम लागत: प्रति गीगाबाइट स्टोरेज की लागत प्राथमिक मेमोरी की तुलना में कम होती है।
### प्राथमिक मेमोरी (Primary Memory):
1. परिभाषा: प्राथमिक मेमोरी वह मेमोरी है जो कंप्यूटर के प्रोसेसर द्वारा सीधे एक्सेस की जा सकती है। यह अस्थायी होती है और मुख्य रूप से RAM (रैंडम एक्सेस मेमोरी) के रूप में होती है।
2. विशेषताएँ:
– अस्थायी स्टोरेज: जब कंप्यूटर बंद होता है, तो इसमें स्टोर किया गया डेटा खो जाता है।
– उच्च गति: डेटा को तेजी से एक्सेस किया जा सकता है, जो कंप्यूटर की कार्यक्षमता को बढ़ाता है।
– कम क्षमता: प्राथमिक मेमोरी की क्षमता द्वितीयक मेमोरी की तुलना में कम होती है।
– महंगी: प्रति गीगाबाइट स्टोरेज की लागत अधिक होती है।
### भिन्नताएँ:
– स्थायित्व: द्वितीयक मेमोरी स्थायी होती है जबकि प्राथमिक मेमोरी अस्थायी होती है।- गति: प्राथमिक मेमोरी डेटा को तेजी से एक्सेस करती है, जबकि द्वितीयक मेमोरी धीमी होती है।- क्षमता: द्वितीयक मेमोरी में अधिक डेटा स्टोर किया जा सकता है, जबकि प्राथमिक मेमोरी की क्षमता सीमित ह
8) CPU के कार्य को परिभाषित कीजिए।
= CPU, या केंद्रीय प्रोसेसिंग यूनिट, कंप्यूटर का एक महत्वपूर्ण घटक है, जिसे कंप्यूटर का मस्तिष्क भी कहा जाता है। इसका मुख्य कार्य डेटा को प्रोसेस करना और निर्देशों को निष्पादित करना है। CPU कई कार्यों को करता है, जिनमें शामिल हैं:
1. निर्देशों का निष्पादन: CPU कंप्यूटर प्रोग्राम से प्राप्त निर्देशों को पढ़ता है और उन्हें निष्पादित करता है। यह निर्देश गणितीय, तार्किक, और नियंत्रण संबंधी हो सकते हैं।
2. डेटा प्रोसेसिंग: CPU डेटा को प्रोसेस करता है, जैसे कि जोड़ना, घटाना, गुणा करना, और विभाजन करना। यह डेटा को विभिन्न फॉर्मेट में बदलने और उपयोग करने में मदद करता है।
3. संग्रहण प्रबंधन: CPU मेमोरी में डेटा को संग्रहित करने और पुनः प्राप्त करने का कार्य करता है। यह सुनिश्चित करता है कि डेटा सही स्थान पर रखा गया है और सही समय पर उपयोग किया जा रहा है।
4. इनपुट/आउटपुट नियंत्रण: CPU इनपुट डिवाइस (जैसे कीबोर्ड, माउस) और आउटपुट डिवाइस (जैसे प्रिंटर, मॉनिटर) के साथ संवाद करता है, जिससे उपयोगकर्ता और कंप्यूटर के बीच जानकारी का आदान-प्रदान हो सके।
5. कंट्रोल सिग्नल का उत्पादन: CPU विभिन्न घटकों को नियंत्रित करने के लिए सिग्नल उत्पन्न करता है, जिससे सभी घटक सही तरीके से काम कर सकें।
इन सभी कार्यों के माध्यम से, CPU कंप्यूटर के संचालन को सुचारू और प्रभावी बनाता है।
9) लेजर प्रिन्टर को संक्षिप्त में समझाइए।
=
लेजर प्रिन्टर एक प्रकार का प्रिंटर है जो लेजर तकनीक का उपयोग करके दस्तावेजों को प्रिंट करता है। यह प्रिंटर उच्च गुणवत्ता वाले प्रिंट और तेज गति के लिए जाना जाता है।
लेजर प्रिन्टर का काम करने का तरीका इस प्रकार है:
1. लेजर स्कैनिंग: प्रिंटर में एक लेजर बीम होता है, जो एक ड्रम (ड्रम रोलर) पर स्कैन करता है। लेजर बीम उस क्षेत्र को चार्ज करता है जहां टेक्स्ट या इमेज प्रिंट होना है।
2. टोनर का उपयोग: लेजर प्रिंटर में टोनर पाउडर होता है, जो एक प्रकार का पिगमेंट है। जब लेजर बीम चार्ज किए गए क्षेत्र पर पड़ता है, तो टोनर उस क्षेत्र में चिपक जाता है।
3. पेपर पर ट्रांसफर: उसके बाद, पेपर को प्रिंटर में डाला जाता है और टोनर को पेपर पर ट्रांसफर किया जाता है। यह प्रक्रिया गर्मी और दबाव के माध्यम से होती है, जिससे टोनर पेपर पर स्थायी रूप से चिपक जाता है।
4. फिनिशिंग: अंत में, प्रिंटेड पेपर को बाहर निकाला जाता है, और यह तैयार होता है।
लेजर प्रिंटर का उपयोग आमतौर पर ऑफिसों में किया जाता है क्योंकि यह तेजी से प्रिंट करता है और बड़ी मात्रा में प्रिंटिंग के लिए लागत प्रभावी होता है।
10)कन्ट्रोल यूनिट का क्या कार्य है?
= कन्ट्रोल यूनिट (Control Unit) कंप्यूटर का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। इसका मुख्य कार्य कंप्यूटर के विभिन्न घटकों के बीच समन्वय स्थापित करना और निर्देशों का निष्पादन करना है। यहाँ कुछ प्रमुख कार्य दिए गए हैं:
1. निर्देशों का निष्पादन: कन्ट्रोल यूनिट प्रोग्राम में दिए गए निर्देशों को पढ़ती है और उन्हें निष्पादित करने के लिए आवश्यक संकेत भेजती है।
2. डेटा प्रवाह का प्रबंधन: यह सुनिश्चित करती है कि डेटा सही समय पर सही स्थान पर भेजा जाए। यह प्रोसेसर, मेमोरी और इनपुट/आउटपुट उपकरणों के बीच डेटा का प्रवाह नियंत्रित करती है।
3. संसाधनों का समन्वय: कन्ट्रोल यूनिट विभिन्न संसाधनों जैसे कि मेमोरी और प्रोसेसर के बीच समन्वय स्थापित करती है ताकि सभी घटक सही तरीके से काम कर सकें।
4. तर्क और निर्णय लेना: यह आवश्यकतानुसार तर्क और निर्णय लेने में मदद करती है, जैसे कि किसी विशेष प्रक्रिया को कब और कैसे निष्पादित करना है।
इस प्रकार, कन्ट्रोल यूनिट कंप्यूटर के कार्यों को सुचारू रूप से चलाने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
11)एनालॉग तथा डिजिटल संचार को उदाहरण सहित समझाइए।
= एनालॉग और डिजिटल संचार दो प्रकार के संचार विधियाँ हैं, जो सूचना के आदान-प्रदान के लिए उपयोग की जाती हैं। आइए इन दोनों को उदाहरण सहित समझते हैं:
एनालॉग संचार:
एनालॉग संचार में सूचना को निरंतर संकेतों के रूप में प्रस्तुत किया जाता है। इसमें संकेत समय के साथ निरंतर बदलते हैं। एक सामान्य उदाहरण है टेलीफोन। जब आप एक एनालॉग टेलीफोन का उपयोग करते हैं, तो आपकी आवाज़ एक विद्युत संकेत में परिवर्तित होती है, जो एक निरंतर तरंग के रूप में भेजी जाती है। इस प्रक्रिया में, आवाज़ के विभिन्न स्वर और ध्वनियाँ विद्युत संकेतों के माध्यम से संचारित होती हैं।
डिजिटल संचार:
डिजिटल संचार में सूचना को बाइनरी कोड (0 और 1) के रूप में प्रस्तुत किया जाता है। यह संकेत निरंतर नहीं होते, बल्कि यह डिस्क्रीट स्तरों पर होते हैं। उदाहरण के लिए, एक डिजिटल टेलीफोन या स्मार्टफोन में आपकी आवाज़ को पहले एनालॉग संकेत में परिवर्तित किया जाता है और फिर उसे डिजिटल कोड में बदल दिया जाता है। इसके बाद यह कोड इंटरनेट या किसी अन्य डिजिटल नेटवर्क के माध्यम से भेजा जाता है। रिसीवर के पास, यह डिजिटल कोड फिर से एनालॉग संकेत में परिवर्तित होता है ताकि आप आवाज़ सुन सकें।
संक्षेप में, एनालॉग संचार निरंतर संकेतों का उपयोग करता है, जबकि डिजिटल संचार बाइनरी कोड का उपयोग करता है। दोनों विधियाँ अपनी-अपनी जगह पर उपयोगी हैं और विभिन्न परिस्थितियों में विभिन्न लाभ प्रदान करती हैं।
12)डाटा संचारण की विभिन्न प्रणालियों को समझाइए।
= डाटा संचारण की विभिन्न प्रणालियाँ मुख्य रूप से दो श्रेणियों में बांटी जा सकती हैं:
1. वायर्ड संचारण प्रणाली: इस प्रणाली में डेटा को तारों के माध्यम से संचारित किया जाता है। इसमें शामिल हैं:
– टेलीफोन लाइनें: पारंपरिक टेलीफोन सेवाओं के लिए उपयोग की जाती हैं।
– फाइबर ऑप्टिक केबल: यह डेटा को प्रकाश के रूप में संचारित करता है, जो तेज और अधिक मात्रा में डेटा ट्रांसफर करने की क्षमता रखता है।
– कोएक्सियल केबल: यह आमतौर पर केबल टेलीविजन और इंटरनेट सेवाओं के लिए प्रयोग होता है।
2. वायरलेस संचारण प्रणाली: इस प्रणाली में डेटा को बिना तारों के, रेडियो तरंगों या अन्य प्रकार की तरंगों के माध्यम से संचारित किया जाता है। इसमें शामिल हैं:
– वाई-फाई: यह एक स्थानीय क्षेत्र नेटवर्क (LAN) के लिए वायरलेस तकनीक है, जो इंटरनेट कनेक्शन को बिना तारों के प्रदान करती है।
– ब्लूटूथ: यह छोटी दूरी पर डेटा संचारित करने के लिए उपयोग किया जाता है, जैसे कि मोबाइल उपकरणों के बीच।
– मोबाइल नेटवर्क: जैसे 4G, 5G, जो मोबाइल फोन और अन्य उपकरणों को डेटा और वॉइस सेवाएं प्रदान करते हैं।
इन प्रणालियों का उपयोग विभिन्न उद्देश्यों के लिए किया जाता है, जैसे कि इंटरनेट कनेक्शन, डेटा ट्रांसफर, और संचार सेवाएं। प्रत्येक प्रणाली की अपनी विशेषताएँ और उपयोग की सीमाएँ होती हैं।
13)
URL (यूनिफॉर्म रिसोर्स लोकेटर) परिभाषित कीजिए।
= URL (Uniform Resource Locator) एक वेब एड्रेस है जो इंटरनेट पर किसी संसाधन (जैसे कि वेब पेज, फ़ाइल, या दस्तावेज़) का पता बताता है। URL का उपयोग वेब ब्राउज़र द्वारा किसी विशेष वेबसाइट या वेब पेज तक पहुंचने के लिए किया जाता है।
URL में कई भाग होते हैं, जिनमें शामिल हैं:
1. **प्रोटोकॉल:** यह बताता है कि किस प्रकार का प्रोटोकॉल (जैसे कि HTTP या HTTPS) का उपयोग करके संसाधन तक पहुंचा जाएगा।
2. **डोमेन नाम:** यह वेबसाइट का नाम होता है (जैसे कि [www.Example.Com](https://www.Google.Com/url?Sa=E&source=gmail&q=https://www.Example.Com))।
3. **पथ:** यह वेबसाइट के भीतर संसाधन का स्थान बताता है (जैसे कि /images/logo.Png)।
उदाहरण के लिए, URL `https://www.Example.Com/about.Html` में:
* प्रोटोकॉल `https://` है।
* डोमेन नाम `www.Example.Com` है।
* पथ `/about.Html` है।
URL का उपयोग विभिन्न प्रकार के संसाधनों तक पहुंचने के लिए किया जा सकता है, जिनमें शामिल हैं:
* वेब पेज
* चित्र
* वीडियो
* ऑडियो फ़ाइलें
* दस्तावेज़
* अन्य वेबसाइटें
14)आईपी एड्रेस पर संक्षिप्त टिप्पणी कीजिए।
= आईपी एड्रेस (IP Address) एक अद्वितीय संख्यात्मक पहचान है जो इंटरनेट या किसी नेटवर्क से जुड़े प्रत्येक डिवाइस को असाइन की जाती है। यह पहचान कंप्यूटर, स्मार्टफोन, सर्वर या किसी अन्य डिवाइस को नेटवर्क पर एक-दूसरे से संवाद करने में मदद करती है।
**आईपी एड्रेस के दो मुख्य संस्करण हैं:**
* **IPv4:** यह सबसे पुराना संस्करण है और इसमें 32 बिट्स होते हैं। IPv4 एड्रेस को चार भागों में विभाजित किया जाता है, जिन्हें दशमलव संख्याओं द्वारा दर्शाया जाता है और डॉट (.) द्वारा अलग किया जाता है। उदाहरण के लिए: 192.168.1.1
* **IPv6:** यह नया संस्करण है और इसमें 128 बिट्स होते हैं। IPv6 एड्रेस को आठ भागों में विभाजित किया जाता है, जिन्हें हेक्साडेसिमल संख्याओं द्वारा दर्शाया जाता है और कोलन (:) द्वारा अलग किया जाता है। उदाहरण के लिए: 2001:0db8:85a3:0000:0000:8a2e:0370:7334
**आईपी एड्रेस के कार्य:**
* **पहचान:** आईपी एड्रेस नेटवर्क पर डिवाइस की विशिष्ट पहचान करता है।
* **स्थान:** आईपी एड्रेस डिवाइस के नेटवर्क स्थान की जानकारी प्रदान करता है।
* **संचार:** आईपी एड्रेस का उपयोग नेटवर्क पर डेटा पैकेट भेजने और प्राप्त करने के लिए किया जाता है।
**आईपी एड्रेस के प्रकार:**
* **स्थिर आईपी एड्रेस:** यह एड्रेस हमेशा एक ही डिवाइस को असाइन किया जाता है।
* **गतिशील आईपी एड्रेस:** यह एड्रेस समय-समय पर बदलता रहता है।
आईपी एड्रेस इंटरनेट और नेटवर्क संचार के लिए एक महत्वपूर्ण तत्व है। यह डिवाइस को नेटवर्क पर एक-दूसरे से संवाद करने और डेटा का आदान-प्रदान करने में सक्षम बनाता है।
15)स्कैनर, प्रिन्टर एवं फ्लैश ड्राइव को समझाइए।
=
स्कैनर (Scanner):
स्कैनर एक उपकरण है जिसका उपयोग कागज पर मौजूद सामग्री को डिजिटल रूप में बदलने के लिए किया जाता है। इसका काम एक फोटो या दस्तावेज़ को स्कैन करके उसे कंप्यूटर में इमेज या टेक्स्ट फाइल के रूप में सेव करना है। इसका उपयोग अक्सर डॉक्युमेंट्स, तस्वीरों, या अन्य ग्राफिक कंटेंट को डिजिटल रूप में संग्रहित करने के लिए किया जाता है।
प्रिंटर (Printer):
प्रिंटर एक आउटपुट डिवाइस है जो कंप्यूटर में मौजूद डिजिटल जानकारी को कागज पर छापने का कार्य करता है। यह टेक्स्ट, इमेज या ग्राफिक्स को कागज पर प्रिंट करने के लिए उपयोग किया जाता है। प्रिंटर विभिन्न प्रकार के होते हैं जैसे कि इंकजेट प्रिंटर, लेजर प्रिंटर, आदि।
फ्लैश ड्राइव (Flash Drive):
फ्लैश ड्राइव एक पोर्टेबल डेटा स्टोरेज डिवाइस है, जिसे यूएसबी पोर्ट के माध्यम से कंप्यूटर या अन्य डिवाइस से जोड़ा जा सकता है। इसमें फ्लैश मेमोरी का उपयोग किया जाता है, जिससे डेटा को बिना बिजली के भी सुरक्षित रखा जा सकता है। इसका मुख्य उपयोग डेटा को स्टोर करने, ट्रांसफर करने और बैकअप लेने के लिए किया जाता है। इसे पेन ड्राइव, यूएसबी ड्राइव या थम्ब ड्राइव भी कहा जाता है।
2)सीरियल तथा पैरेलल डाटा ट्रांसफर में क्या अन्तर है?
=**सीरियल (Serial) और पैरेलल (Parallel) डाटा ट्रांसफर** दोनों ही डाटा को एक स्थान से दूसरे स्थान तक पहुँचाने के तरीके हैं, लेकिन इनमें कुछ महत्वपूर्ण अंतर होते हैं:
1. **सीरियल डाटा ट्रांसफर (Serial Data Transfer):**
– इसमें डाटा को एक बिट के रूप में एक बार में एक दिशा में ट्रांसफर किया जाता है।
– प्रत्येक बिट को एक के बाद एक भेजा जाता है।
– यह प्रक्रिया एक ही ट्रांसमिशन चैनल का उपयोग करके होती है।
– सीरियल ट्रांसफर की गति धीमी हो सकती है, लेकिन यह लंबी दूरी के लिए अधिक प्रभावी और विश्वसनीय होता है।
– उदाहरण: USB (Universal Serial Bus), सिरीयल पोर्ट (RS-232)।
2. **पैरेलल डाटा ट्रांसफर (Parallel Data Transfer):**
– इसमें डाटा को एक साथ कई बिट्स में भेजा जाता है।
– यह एकाधिक ट्रांसमिशन चैनलों का उपयोग करता है, जिससे डाटा के कई बिट्स एक साथ भेजे जाते हैं।
– पैरेलल ट्रांसफर की गति सीरियल ट्रांसफर से अधिक हो सकती है, लेकिन यह केवल छोटी दूरी के लिए उपयुक्त होता है क्योंकि लंबी दूरी पर सिग्नल की गुणवत्ता में गिरावट हो सकती है।
– उदाहरण: पेरलल पोर्ट (जैसे प्रिंटर पोर्ट), IDE (Integrated Drive Electronics) केबल।
**मुख्य अंतर:**
– **गति:** पैरेलल ट्रांसफर आमतौर पर सीरियल ट्रांसफर से तेज़ होता है, लेकिन इसकी गति लंबी दूरी पर घट सकती है।
– **संचरण:** सीरियल ट्रांसफर में एक ही चैनल से एक-एक बिट भेजा जाता है, जबकि पैरेलल ट्रांसफर में कई चैनल्स से कई बिट्स एक साथ भेजे जाते हैं।
– **विश्वसनीयता:** सीरियल ट्रांसफर लंबी दूरी पर अधिक विश्वसनीय होता है, जबकि पैरेलल ट्रांसफर छोटी दूरी पर अधिक प्रभावी होता है।
17)कम्प्यूटर की विभिन्न भाषाओं का उदाहरण सहित वर्णन कीजिए।
=
कंप्यूटर की विभिन्न भाषाओं का उपयोग डेटा प्रोसेसिंग, प्रोग्रामिंग और कंप्यूटर सिस्टम के संचालन के लिए किया जाता है। इन भाषाओं को मुख्य रूप से निम्नलिखित श्रेणियों में विभाजित किया जा सकता है:
निम्न स्तरीय भाषाएं (Low-level languages):
मशीन भाषा (Machine Language):
कंप्यूटर द्वारा सीधे समझी जाने वाली बाइनरी भाषा (0 और 1)।- ऐसेंबलर भाषा (Assembly Language):
मशीनी कोड को समझने योग्य शब्दों में बदलती है (जैसेMOV A, B
)।
उच्च स्तरीय भाषाएं (High-level languages):
C:
सिस्टम और एप्लिकेशन प्रोग्रामिंग के लिए उपयोग की जाती है (उदाहरण:printf("Hello World!");
)।- C++:
C का विस्तारित रूप, जो ऑब्जेक्ट-ओरिएंटेड प्रोग्रामिंग को सपोर्ट करता है (उदाहरण:cout << "Hello World!";
)। - Java:
एक प्लेटफ़ॉर्म-स्वतंत्र भाषा (उदाहरण:System.Out.Println("Hello World!");
)। - Python:
सरल और पढ़ने योग्य, वेब और सॉफ़्टवेयर डेवलपमेंट के लिए (उदाहरण:print("Hello World!")
)।
स्क्रिप्टिंग भाषाएं (Scripting Languages):
- JavaScript:
वेब पृष्ठों पर इंटरएक्टिव फीचर्स के लिए (उदाहरण:console.Log("Hello World!");
)। - PHP:
सर्वर-साइड स्क्रिप्टिंग भाषा, वेबसाइट डेवलपमेंट के लिए (उदाहरण:echo "Hello World!";
)।
- JavaScript:
डेटा वर्णन भाषाएं (Data Description Languages):
- XML:
संरचित डेटा को प्रस्तुत करने के लिए (उदाहरण:<greeting>Hello World</greeting>
)।
- XML:
18)कम्प्यूटर के भागों का आपसी सम्बन्ध दर्शाने वाला ब्लॉक चित्र बनाइए। प्रत्येक भाग का विवरण भी लिखिए।
= ### **कम्प्यूटर के भागों का आपसी सम्बन्ध दर्शाने वाला ब्लॉक चित्र**
#### **ब्लॉक चित्र:**
“`
[इनपुट उपकरण] → [सेंट्रल प्रोसेसिंग यूनिट (CPU)] → [आउटपुट उपकरण]
↓
[स्टोरेज डिवाइस]
“`
#### **विवरण:**
1. **इनपुट उपकरण (Input Devices):**
– कीबोर्ड, माउस, स्कैनर, माइक्रोफोन आदि।
– उपयोगकर्ता द्वारा डेटा या निर्देश देने के लिए उपयोग किया जाता है।
2. **सेंट्रल प्रोसेसिंग यूनिट (CPU):**
– कम्प्यूटर का मस्तिष्क, जो डेटा को प्रोसेस करता है।
– इसमें **अंकगणितीय एवं तार्किक इकाई (ALU)** और **नियंत्रण इकाई (CU)** होती है।
3. **स्टोरेज डिवाइस (Storage Devices):**
– हार्ड डिस्क, SSD, पेन ड्राइव आदि।
– डेटा और प्रोग्राम को अस्थायी (RAM) और स्थायी (HDD/SSD) रूप से संग्रहित करने के लिए।
4. **आउटपुट उपकरण (Output Devices):**
– मॉनिटर, प्रिंटर, स्पीकर आदि।
– प्रोसेस किए गए डेटा का परिणाम उपयोगकर्ता को दिखाने के लिए।
19)- (i) RAM और ROM में (ii) इम्पैक्ट और नॉन-इम्पैक्ट प्रिंटर में
= ### (i) **RAM और ROM में अंतर**
| विशेषता | RAM (रैम) | ROM (रोम) |
| **पूर्ण रूप** | रैंडम एक्सेस मेमोरी | रीड ओनली मेमोरी |
| **प्रकृति** | अस्थायी मेमोरी (वोलाटाइल) | स्थायी मेमोरी (नॉन-वोलाटाइल) |
| **उद्देश्य** | प्रोग्राम और डेटा को अस्थायी रूप से स्टोर करना | सिस्टम सॉफ्टवेयर (BIOS) और फर्मवेयर को स्टोर करना |
| **डाटा परिवर्तन** | डेटा को पढ़ा और लिखा जा सकता है | डेटा केवल पढ़ा जा सकता है, बदला नहीं जा सकता (कुछ प्रकार अपवाद हैं) |
### (ii) **इम्पैक्ट और नॉन-इम्पैक्ट प्रिंटर में अंतर**
| विशेषता | इम्पैक्ट प्रिंटर | नॉन-इम्पैक्ट प्रिंटर |
| **कार्य प्रणाली** | कागज पर प्रिंट करने के लिए स्याही लगी पट्टी और हैमर का उपयोग करता है | बिना संपर्क किए प्रिंटिंग करता है (इंकजेट या लेजर तकनीक) |
| **उदाहरण** | डॉट मैट्रिक्स प्रिंटर, लाइन प्रिंटर | इंकजेट प्रिंटर, लेजर प्रिंटर |
| **गति** | धीमी | तेज |
| **शोर** | अधिक | कम |
| **गुणवत्ता** | कम | उच्च |
20)हार्ड डिस्क की संरचना तथा कार्यप्रणाली का सचित्र वर्णन कीजिए।
= हार्ड डिस्क की संरचना एवं कार्यप्रणाली
संरचना:
हार्ड डिस्क एक चुंबकीय भंडारण उपकरण है, जिसमें निम्नलिखित भाग होते हैं:
- प्लैटर्स (Platters):
धातु या कांच की चक्रीय डिस्क, जिन पर डेटा संग्रहीत किया जाता है। - रीड/राइट हेड (Read/Write Head):
डेटा पढ़ने और लिखने के लिए उपयोग किया जाता है। - स्पिंडल (Spindle):
प्लैटर्स को घुमाने के लिए प्रयोग किया जाता है। - एक्चुएटर आर्म (Actuator Arm):
हेड को सही स्थान पर ले जाने का कार्य करता है। - कंट्रोल सर्किट (Control Circuit):
डेटा प्रबंधन और ट्रांसफर को नियंत्रित करता है।
कार्यप्रणाली:
- डेटा लेखन (Writing):
- राइट हेड, चुंबकीय प्लैटर पर डेटा को छोटे-छोटे चुंबकीय क्षेत्रों के रूप में स्टोर करता है।
- डेटा पढ़ना (Reading):
- रीड हेड, चुंबकीय क्षेत्रों से डेटा को पढ़कर प्रोसेसर को भेजता है।
- घूर्णन गति (Spinning Speed):
- हार्ड डिस्क 5400 RPM या 7200 RPM की गति से घूमती है, जिससे डेटा तेजी से एक्सेस किया जाता है।चित्र:
- हार्ड डिस्क 5400 RPM या 7200 RPM की गति से घूमती है, जिससे डेटा तेजी से एक्सेस किया जाता है।चित्र:
-----------------
| कंट्रोलर |
-----------------
↓ ↓ ↓
-----------------
| प्लैटर्स (डिस्क) |
-----------------
↑ ↑ ↑
-----------------
| रीड/राइट हेड |
-----------------
21)प्रिंटर्स कितने प्रकार के होते हैं? विस्तार से वर्णन कीजिए।
= ### **प्रिंटर के प्रकार एवं उनका वर्णन**
प्रिंटर मुख्य रूप से दो प्रकार के होते हैं:
#### **1. इम्पैक्ट प्रिंटर (Impact Printer)**
इन प्रिंटरों में स्याही लगी पट्टी (Ink Ribbon) और एक हैमर या पिन का उपयोग करके कागज पर प्रिंट किया जाता है।
**उदाहरण:**
– **डॉट मैट्रिक्स प्रिंटर:** छोटे-छोटे पिन मिलकर अक्षरों का निर्माण करते हैं।
– **डेजी व्हील प्रिंटर:** टाइपराइटर की तरह एक घूमने वाले व्हील से प्रिंटिंग होती है।
– **लाइन प्रिंटर:** एक समय में पूरी लाइन प्रिंट करने की क्षमता रखते हैं।
#### **2. नॉन-इम्पैक्ट प्रिंटर (Non-Impact Printer)**
ये प्रिंटर बिना किसी संपर्क के इलेक्ट्रॉनिक या थर्मल विधियों से प्रिंटिंग करते हैं।
**उदाहरण:**
– **इंकजेट प्रिंटर:** स्याही की बूंदों को कागज पर स्प्रे करके प्रिंटिंग करता है।
– **लेजर प्रिंटर:** लेजर बीम और टोनर का उपयोग करके उच्च गुणवत्ता की प्रिंटिंग करता है।
– **थर्मल प्रिंटर:** गर्मी द्वारा विशेष थर्मल पेपर पर छपाई करता है (ATM रसीद प्रिंटर आदि)।
**निष्कर्ष:**
इम्पैक्ट प्रिंटर सस्ते लेकिन धीमे होते हैं, जबकि नॉन-इम्पैक्ट प्रिंटर तेज और उच्च गुणवत्ता प्रदान करते हैं।
22)कम्प्यूटर में प्रयुक्त विभिन्न मेमोरी की विवेचना कीजिए। विभिन्न प्रकार की ऑप्टिकल डिस्क को संक्षिप्त में समझाइए।
=
कम्प्यूटर में प्रयुक्त विभिन्न मेमोरी की विवेचना
कम्प्यूटर में मेमोरी मुख्यतः दो प्रकार की होती है:
1. प्राइमरी मेमोरी (Primary Memory):
- RAM (रैम):
अस्थायी मेमोरी जो डेटा और प्रोग्राम को अस्थायी रूप से स्टोर करती है। - ROM (रोम):
स्थायी मेमोरी जिसमें सिस्टम सॉफ्टवेयर (BIOS) स्टोर रहता है।
2. सेकेंडरी मेमोरी (Secondary Memory):
- हार्ड डिस्क:
बड़ी मात्रा में डेटा स्टोर करने के लिए प्रयोग होती है। - SSD (सॉलिड स्टेट ड्राइव):
तेज़ और टिकाऊ स्टोरेज डिवाइस। - फ्लैश मेमोरी:
पेन ड्राइव, मेमोरी कार्ड आदि।
3. कैश मेमोरी (Cache Memory):
- यह हाई-स्पीड मेमोरी होती है, जो सीपीयू के पास डेटा एक्सेस को तेज़ करती है।
4. वर्चुअल मेमोरी (Virtual Memory):
- हार्ड डिस्क के कुछ भाग को RAM की तरह उपयोग किया जाता है।
विभिन्न प्रकार की ऑप्टिकल डिस्क का संक्षिप्त विवरण
CD (कम्पैक्ट डिस्क):
- डेटा स्टोरेज क्षमता: 700 MB
- प्रकार: CD-ROM (Read Only), CD-R (Writable), CD-RW (Rewritable)
DVD (डिजिटल वर्सेटाइल डिस्क):
- डेटा स्टोरेज क्षमता: 4.7 GB से 17 GB तक
- उच्च गुणवत्ता वाली वीडियो और डेटा स्टोरेज के लिए प्रयोग होती है।
Blu-ray Disc (BD):
- डेटा स्टोरेज क्षमता: 25 GB से 128 GB
- हाई-डेफिनिशन (HD) वीडियो और गेम स्टोरेज के लिए प्रयोग की जाती है।
24)लैन एवं वैन को समझाइए।
= ### **LAN (लैन) और WAN (वैन) का संक्षिप्त विवरण**
#### **1. लैन (LAN – Local Area Network):**
– यह एक सीमित क्षेत्र में स्थापित नेटवर्क होता है, जैसे कि घर, स्कूल, ऑफिस या किसी बिल्डिंग के अंदर।
– इसमें डेटा ट्रांसफर की गति तेज़ (10 Mbps से 1 Gbps) होती है।
– **उदाहरण:** स्कूल का कंप्यूटर नेटवर्क, ऑफिस नेटवर्क।
#### **2. वैन (WAN – Wide Area Network):**
– यह बड़े भौगोलिक क्षेत्रों (देशों या विश्व स्तर) को जोड़ने वाला नेटवर्क होता है।
– डेटा ट्रांसफर गति लैन की तुलना में कम होती है।
– **उदाहरण:** इंटरनेट, बैंकिंग नेटवर्क।
**मुख्य अंतर:** लैन सीमित क्षेत्र के लिए और तेज़ होता है, जबकि वैन विस्तृत क्षेत्र को कवर करता है लेकिन अपेक्षाकृत धीमा होता है।
24)विभिन्न प्रकार के संचारण माध्यम कौनसे हैं? प्रत्येक प्रकार के दो संचार माध्यमों का वर्णन कीजिए।
=
विभिन्न प्रकार के संचारण माध्यम
कम्प्यूटर नेटवर्क में संचारण माध्यम मुख्य रूप से दो प्रकार के होते हैं:
1. दिशिक (Guided) संचार माध्यम:
- इसमें डेटा केबल के माध्यम से संचारित किया जाता है।
- उदाहरण:
- ट्विस्टेड पेयर केबल:
दो तांबे की तारें आपस में मुड़ी होती हैं, जो डेटा ट्रांसफर में मदद करती हैं। (उदा. टेलीफोन लाइन) - ऑप्टिकल फाइबर केबल:
यह डेटा को प्रकाश संकेतों के रूप में भेजता है, जिससे उच्च गति और सुरक्षा मिलती है।
- ट्विस्टेड पेयर केबल:
2. अदिशिक (Unguided) संचार माध्यम:
- इसमें डेटा को वायरलेस माध्यम से भेजा जाता है।
- उदाहरण:
- रेडियो तरंग (Radio Waves):
मोबाइल नेटवर्क और वाई-फाई संचार में प्रयोग होती हैं। - माइक्रोवेव संचार (Microwave Communication):
यह सैटेलाइट और लम्बी दूरी के संचार के लिए उपयोग किया जाता है।
- रेडियो तरंग (Radio Waves):
निष्कर्ष:
दिशिक माध्यम केबल आधारित होता है, जबकि अदिशिक माध्यम वायरलेस संचार प्रदान करता है।
25) कम्प्यूटर के खण्ड आरेख (Block Diagram) को बनाइए।
= ### **कम्प्यूटर का खण्ड आरेख (Block Diagram)**
#### **ब्लॉक आरेख:**
“`
[इनपुट उपकरण] → [सेंट्रल प्रोसेसिंग यूनिट (CPU)] → [आउटपुट उपकरण]
↓
[मेमोरी/स्टोरेज]
“`
#### **मुख्य घटक:**
1. **इनपुट उपकरण (Input Devices):**
– उपयोगकर्ता से डेटा प्राप्त करते हैं।
– उदाहरण: कीबोर्ड, माउस, स्कैनर।
2. **सेंट्रल प्रोसेसिंग यूनिट (CPU):**
– कम्प्यूटर का मस्तिष्क, जो डेटा को प्रोसेस करता है।
– घटक:
– **अंकगणितीय एवं तार्किक इकाई (ALU):** गणना और तर्क संचालन करता है।
– **नियंत्रण इकाई (CU):** सभी घटकों का समन्वय करती है।
3. **मेमोरी (Memory):**
– डेटा को अस्थायी (RAM) और स्थायी (ROM) रूप से संग्रहित करती है।
4. **आउटपुट उपकरण (Output Devices):**
– प्रोसेस किए गए डेटा को उपयोगकर्ता को दिखाते हैं।
– उदाहरण: मॉनिटर, प्रिंटर, स्पीकर।
26)कम्प्यूटर के विभिन्न प्रकारों को बताइए।
= ### **कम्प्यूटर के विभिन्न प्रकार**
कम्प्यूटर को उनके आकार, कार्यक्षमता और प्रोसेसिंग क्षमता के आधार पर मुख्य रूप से पाँच प्रकारों में विभाजित किया जाता है:
#### **1. सुपर कम्प्यूटर (Supercomputer)**
– अत्यधिक तेज़ और शक्तिशाली कम्प्यूटर, वैज्ञानिक अनुसंधान और जटिल गणनाओं के लिए उपयोग होते हैं।
– **उदाहरण:** परम, प्रद्युम्न।
#### **2. मेनफ्रेम कम्प्यूटर (Mainframe Computer)**
– बड़े पैमाने पर डेटा प्रोसेसिंग और मल्टी-यूजर ऑपरेशन के लिए प्रयुक्त होते हैं।
– **उदाहरण:** बैंकिंग, सरकारी संस्थान।
#### **3. मिनी कम्प्यूटर (Minicomputer)**
– मध्यम आकार का कम्प्यूटर, जो छोटे संगठनों और कंपनियों में उपयोग किया जाता है।
– **उदाहरण:** नेटवर्क सर्वर।
#### **4. माइक्रो कम्प्यूटर (Microcomputer)**
– पर्सनल उपयोग के लिए डिज़ाइन किए गए छोटे और किफायती कम्प्यूटर।
– **उदाहरण:** डेस्कटॉप, लैपटॉप।
#### **5. एम्बेडेड कम्प्यूटर (Embedded Computer)**
– किसी विशेष कार्य के लिए डिज़ाइन किए गए कम्प्यूटर, जो अन्य डिवाइस में लगे होते हैं।
– **उदाहरण:** एटीएम, स्मार्टफोन, माइक्रोवेव।
27)ROM, RAM, PROM तथा EPROM में विभेद कीजिए।
= ### **कम्प्यूटर के विभिन्न प्रकार**
कम्प्यूटर को उनके आकार, कार्यक्षमता और प्रोसेसिंग क्षमता के आधार पर मुख्य रूप से पाँच प्रकारों में विभाजित किया जाता है:
#### **1. सुपर कम्प्यूटर (Supercomputer)**
– अत्यधिक तेज़ और शक्तिशाली कम्प्यूटर, वैज्ञानिक अनुसंधान और जटिल गणनाओं के लिए उपयोग होते हैं।
– **उदाहरण:** परम, प्रद्युम्न।
#### **2. मेनफ्रेम कम्प्यूटर (Mainframe Computer)**
– बड़े पैमाने पर डेटा प्रोसेसिंग और मल्टी-यूजर ऑपरेशन के लिए प्रयुक्त होते हैं।
– **उदाहरण:** बैंकिंग, सरकारी संस्थान।
#### **3. मिनी कम्प्यूटर (Minicomputer)**
– मध्यम आकार का कम्प्यूटर, जो छोटे संगठनों और कंपनियों में उपयोग किया जाता है।
– **उदाहरण:** नेटवर्क सर्वर।
#### **4. माइक्रो कम्प्यूटर (Microcomputer)**
– पर्सनल उपयोग के लिए डिज़ाइन किए गए छोटे और किफायती कम्प्यूटर।
– **उदाहरण:** डेस्कटॉप, लैपटॉप।
#### **5. एम्बेडेड कम्प्यूटर (Embedded Computer)**
– किसी विशेष कार्य के लिए डिज़ाइन किए गए कम्प्यूटर, जो अन्य डिवाइस में लगे होते हैं।
– **उदाहरण:** एटीएम, स्मार्टफोन, माइक्रोवेव।
28)ऑपरेटिंग सिस्टम को परिभाषित कीजिए। इसके कोई चार महत्वपूर्ण कार्य बताइए।
= ### **ऑपरेटिंग सिस्टम की परिभाषा**
ऑपरेटिंग सिस्टम (Operating System) एक सॉफ्टवेयर है जो कम्प्यूटर हार्डवेयर और उपयोगकर्ता के बीच मध्यस्थ के रूप में कार्य करता है। यह सभी हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर संसाधनों को प्रबंधित करता है तथा उपयोगकर्ता को कम्प्यूटर के साथ संवाद करने की सुविधा प्रदान करता है।
### **ऑपरेटिंग सिस्टम के चार महत्वपूर्ण कार्य**
1. **प्रोसेस प्रबंधन (Process Management):**
– यह CPU में चलने वाले सभी प्रोग्राम और प्रोसेस को नियंत्रित करता है।
2. **मेमोरी प्रबंधन (Memory Management):**
– यह RAM में डेटा और प्रोग्राम के उचित आवंटन और प्रबंधन को सुनिश्चित करता है।
3. **फाइल प्रबंधन (File Management):**
– यह फाइलों के निर्माण, संग्रहण, संशोधन और सुरक्षा को नियंत्रित करता है।
4. **डिवाइस प्रबंधन (Device Management):**
– यह इनपुट और आउटपुट उपकरणों (कीबोर्ड, माउस, प्रिंटर) को नियंत्रित करता है और उनके ड्राइवर का प्रबंधन करता है।
29) ऑपरेटिंग सिस्टम से आपका क्या तात्पर्य है? ऑपरेटिंग सिस्टम में टाइमशेयरिंग की अवधारणा को समझाइए।
= ### **ऑपरेटिंग सिस्टम का तात्पर्य**
ऑपरेटिंग सिस्टम (Operating System) एक सिस्टम सॉफ्टवेयर है जो कम्प्यूटर हार्डवेयर और उपयोगकर्ता के बीच मध्यस्थ के रूप में कार्य करता है। यह सभी संसाधनों (CPU, मेमोरी, इनपुट/आउटपुट डिवाइस) का प्रबंधन करता है और उपयोगकर्ता को कम्प्यूटर पर प्रोग्राम चलाने की सुविधा प्रदान करता है।
### **टाइमशेयरिंग की अवधारणा (Time-Sharing Concept)**
– टाइमशेयरिंग एक मल्टी-यूजर ऑपरेटिंग सिस्टम की तकनीक है जिसमें CPU समय को छोटे-छोटे हिस्सों (Time Slices) में विभाजित किया जाता है।
– प्रत्येक उपयोगकर्ता को थोड़े समय के लिए CPU दिया जाता है, जिससे कई उपयोगकर्ता एक ही समय में कम्प्यूटर का उपयोग कर सकते हैं।
– यह प्रतिक्रिया समय (Response Time) को कम करता है और सिस्टम के संसाधनों का अधिकतम उपयोग सुनिश्चित करता है।
**उदाहरण:** बैंक के सर्वर पर कई उपयोगकर्ता एक साथ ऑनलाइन बैंकिंग सेवाओं का उपयोग कर सकते हैं।
30)ऑपरेटिंग सिस्टम को परिभाषित कीजिए। किन्हीं चार ऑपरेटिंग सिस्टम के नाम लिखिए।
= ### **ऑपरेटिंग सिस्टम की परिभाषा**
ऑपरेटिंग सिस्टम (Operating System) एक सिस्टम सॉफ्टवेयर है जो कम्प्यूटर हार्डवेयर और उपयोगकर्ता के बीच मध्यस्थ के रूप में कार्य करता है। यह संसाधनों का प्रबंधन करता है और उपयोगकर्ता को कम्प्यूटर के साथ संवाद करने की सुविधा प्रदान करता है।
### **चार ऑपरेटिंग सिस्टम के नाम:**
1. **Windows** (विंडोज)
2. **Linux** (लिनक्स)
3. **macOS** (मैकओएस)
4. **Android** (एंड्रॉइड)
31) मल्टी प्रोग्रामिंग सिस्टम तथा मल्टी प्रोसेसिंग सिस्टम में अंतर बताइए।
= ### **मल्टीप्रोग्रामिंग सिस्टम और मल्टीप्रोसेसिंग सिस्टम में अंतर**
| विशेषता | मल्टीप्रोग्रामिंग सिस्टम | मल्टीप्रोसेसिंग सिस्टम |
| **परिभाषा** | एक समय में कई प्रोग्राम्स को मेमोरी में लोड करके CPU के उपयोग को बढ़ाने की प्रणाली। | एक से अधिक CPU का उपयोग करके कई प्रोसेस को समानांतर में निष्पादित करने की प्रणाली। |
| **CPU की संख्या** | एक ही CPU होता है। | एक से अधिक CPU होते हैं। |
| **कार्य प्रणाली** | CPU एक समय में एक ही प्रोग्राम को प्रोसेस करता है, लेकिन बार-बार स्विच करता है। | विभिन्न CPU एक ही समय में अलग-अलग प्रोसेस को निष्पादित कर सकते हैं। |
| **गति और दक्षता** | CPU का उपयोग बढ़ जाता है, लेकिन वास्तविक समानांतर प्रोसेसिंग नहीं होती। | समानांतर प्रोसेसिंग के कारण तेज़ और अधिक दक्ष होता है। |
| **उदाहरण** | पुराने बैच प्रोसेसिंग सिस्टम। | आधुनिक सुपर कम्प्यूटर और मल्टी-कोर प्रोसेसर। |
32)मल्टी प्रोग्रामिंग सिस्टम तथा मल्टी प्रोसेसिंग सिस्टम में अंतर बताइए।
=
मल्टीप्रोग्रामिंग सिस्टम और मल्टीप्रोसेसिंग सिस्टम में अंतर
विशेषता | मल्टीप्रोग्रामिंग सिस्टम | मल्टीप्रोसेसिंग सिस्टम |
---|---|---|
परिभाषा | एक समय में कई प्रोग्राम्स को मेमोरी में लोड करके CPU के उपयोग को बढ़ाने की प्रणाली। | एक से अधिक CPU का उपयोग करके कई प्रोसेस को समानांतर में निष्पादित करने की प्रणाली। |
CPU की संख्या | एक ही CPU होता है। | एक से अधिक CPU होते हैं। |
कार्य प्रणाली | CPU एक समय में एक ही प्रोग्राम को प्रोसेस करता है, लेकिन बार-बार स्विच करता है। | विभिन्न CPU एक ही समय में अलग-अलग प्रोसेस को निष्पादित कर सकते हैं। |
गति और दक्षता | CPU का उपयोग बढ़ जाता है, लेकिन वास्तविक समानांतर प्रोसेसिंग नहीं होती। | समानांतर प्रोसेसिंग के कारण तेज़ और अधिक दक्ष होता है। |
उदाहरण | पुराने बैच प्रोसेसिंग सिस्टम। | आधुनिक सुपर कम्प्यूटर और मल्टी-कोर प्रोसेसर। |
33)मल्टी प्रोग्रामिंग सिस्टम तथा मल्टी प्रोसेसिंग सिस्टम में अंतर बताइए।
= ### **मल्टीप्रोग्रामिंग सिस्टम और मल्टीप्रोसेसिंग सिस्टम में अंतर**
| विशेषता | मल्टीप्रोग्रामिंग सिस्टम | मल्टीप्रोसेसिंग सिस्टम |
| **परिभाषा** | एक समय में कई प्रोग्राम्स को मेमोरी में लोड करके CPU के उपयोग को बढ़ाने की तकनीक। | एक से अधिक CPU का उपयोग करके कई प्रोसेस को समानांतर में निष्पादित करने की तकनीक। |
| **CPU की संख्या** | एक ही CPU होता है। | एक से अधिक CPU होते हैं। |
| **कार्य प्रणाली** | CPU बार-बार प्रोग्राम स्विच करता है लेकिन एक समय में एक ही कार्य करता है। | अलग-अलग CPU एक साथ कई कार्यों को संसाधित कर सकते हैं। |
| **उदाहरण** | पुराने बैच प्रोसेसिंग सिस्टम। | सुपर कम्प्यूटर और मल्टी-कोर प्रोसेसर। |
34) लिनक्स ऑपरेटिंग में mv क्या दर्शाता है?
= ### **Linux में `mv` कमांड का अर्थ**
Linux ऑपरेटिंग सिस्टम में **`mv` (move) कमांड** का उपयोग फ़ाइलों और डायरेक्टरी को एक स्थान से दूसरे स्थान पर **स्थानांतरित (Move)** या **नाम बदलने (Rename)** के लिए किया जाता है।
### **उदाहरण:**
1. **फ़ाइल का नाम बदलना:**
“`bash
mv oldfile.Txt newfile.Txt
“`
2. **फ़ाइल को एक फ़ोल्डर में स्थानांतरित करना:**
“`bash
mv myfile.Txt /home/user/Documents/
“`
35)लिनक्स ऑपरेटिंग में cd क्या दर्शाता है?
=
Linux में cd
कमांड का अर्थ
Linux ऑपरेटिंग सिस्टम में cd
(Change Directory)
कमांड का उपयोग वर्तमान कार्यशील डायरेक्टरी (फ़ोल्डर) को बदलने के लिए किया जाता है।
उदाहरण:
- होम डायरेक्टरी में जाने के लिए:
cd ~
- किसी विशेष फ़ोल्डर में जाने के लिए:
cd Documents/
- एक स्तर पीछे जाने के लिए:
cd ..
36)ऑपरेटिंग सिस्टम क्या है?
= ### **ऑपरेटिंग सिस्टम क्या है?**
ऑपरेटिंग सिस्टम (Operating System) एक सिस्टम सॉफ्टवेयर है जो कम्प्यूटर हार्डवेयर और उपयोगकर्ता के बीच मध्यस्थ (Interface) के रूप में कार्य करता है। यह कम्प्यूटर के संसाधनों (CPU, मेमोरी, इनपुट/आउटपुट डिवाइस) का प्रबंधन करता है और उपयोगकर्ता को प्रोग्राम चलाने की सुविधा प्रदान करता है।
### **उदाहरण:**
– **Windows**
– **Linux**
– **macOS**
– **Android**